जीने की तमन्ना थी, जो तुम साथ मैं लेकर चले गए
जो बात जुबां से कहनी थी आँखों से कह के चले गए
जब छोडा है मुझको तनहा तो ख़्वाबों मैं क्यूँ आते हो
दिन रात मेरी खामोशी का किसलिए मज़ाक उडाते हो
जो राज़ छुपाया था हमने तुम समाचार बनाके चले गए
हमने तोः पायी रुसवाई तुम नाम कमा कर चले गए
अपने दिल के बिखरे अरमान हमने अश्कों से धुलवाए हैं
तुम क्या समझो इस आलम को अपने भी काम ना आये हैं
जो हम से ताल्लुक रखते थे वो भी कतरा के चले गए
जीवन मैं अँधेरा छाया है उजाले तो कभी के चले गए
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About This Blog
This blog contains poems written by me on different topics and with different essence everytime, along with photographs shot by me during various trips in India and UK containing macros, sceneries, urban and rural shots, I hope this blog will serve you with a range of variety and you will enjoy my work.
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dil ko chhoone wali kavita. ek ahsas, ek dard bhi.
अच्छी कोशिश है प्रियंका जी - लिखते रहें। शुभकामना।
आपने कहा - अपने दिल के बिखरे अरमान हमने अश्कों से धुलवाए हैं
"धुलवाए" शब्द का प्रयोग कुछ जँच नहीं रहा है। बिना बुरा माने हो सके तो विचार कीजियेगा।
पुनश्च शुभकामना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
जो हम से ताल्लुक रखते थे वो भी कतरा के चले गए
जीवन मैं अँधेरा छाया है उजाले तो कभी के चले गए
इतना निराशा वादी होना ठीक नहीं है, ये ना भूलें कि हर अंधेरे के बाद उजाले को आना ही होता है।
स्वागत है आपका प्रियंका।
Bahut Barhia... aapka swagat hai... isi tarah likhte rahiye
http://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap...Maithili Me
http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke Bheje Photo
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Manpasand Gaane
भावनात्मक रचना ....अच्छे शब्द संयोजन की एक बेहतर कोशिश....
merabasera.blogspot.com
Bahut achchi bat kahi apane.
अरे-रे-रे-रे-रे-रे कहना तो यह चाहता हूँ कि अरे ये छुटअंकी तो बड़ा अच्छा लिखने लगी....क्या बात है....कितने लोग थे जो यहाँ आ-आ कर चले गए.....कुछ याद रख पाए...और कुछ भूला कर चले गए...हमने तो जिनको भी चाहा अपने गले लगाना "गाफिल".....वो दूर से ही हमें हाथ दिखा कर चले गए.....हा--हा--हा--हा--हा--मैं इसी तरह उत्प्रेरित होता हूँ...प्रियंका तुम बुरा मत मान जाना....और हाँ...मेरा यह संबोधन भले तुम्हें अटपटा सा लगे....मुझे ऐसा करना प्रिय है....तू बुरा मत मान जाना....(दो-चार साल उम्र में तुझसे बड़ा हूँ मैं....!!)
अरे-रे-रे-रे-रे-रे कहना तो यह चाहता हूँ कि अरे ये छुटअंकी तो बड़ा अच्छा लिखने लगी....क्या बात है....कितने लोग थे जो यहाँ आ-आ कर चले गए.....कुछ याद रख पाए...और कुछ भूला कर चले गए...हमने तो जिनको भी चाहा अपने गले लगाना "गाफिल".....वो दूर से ही हमें हाथ दिखा कर चले गए.....हा--हा--हा--हा--हा--मैं इसी तरह उत्प्रेरित होता हूँ...प्रियंका तुम बुरा मत मान जाना....और हाँ...मेरा यह संबोधन भले तुम्हें अटपटा सा लगे....मुझे ऐसा करना प्रिय है....तू बुरा मत मान जाना....(दो-चार साल उम्र में तुझसे बड़ा हूँ मैं....!!)
baap re baap....tippani karne men itnaa pangaa....are bhayi mere man men hone lagaa hai dangaa.....!!
जितनी अच्छी फोटो उतना अच्छी रचना..दोनों भले ही आपकी न हो लेकिन दोनों को एक साथ पेश करना भी क्रिएटिविटी है..कभी फुर्सत में हों तो यहां भी घुम लीजिए
www.yemediahai.blospot.com
jeewan main andhera hai ujale to kab ke chale gye....wahhh dost kya khoob likha hai....!! aap bhawo ko kya khoob shabdo se sajate ho ....wah swagat hai....bahut achha laga aapke blog ko padkar....keep it up up and up !!
mere blog par bhi sawagat hai...
jai ho mangalmay ho
narayan narayan
dhanyawaad aap logon ne meri rachnaaon ka saraha or unper amoolya tippaniyaan bhi ki iske liye aapki aabhari hun..aap logon ka saharsh swaagat main personally reply kernaa chahti thi parantu kisi ka id nahi uplabdh hai....