कई सओबत के बाद अपने से मुलाक़ात हुई है
बड़ी मुददतों के बाद खुद से बात हुई है ...
अजब तंग मुफक्किर था में समझ आया
ज़िन्दगी दायरों में बंधी थी अब आज़ाद हुई है ...
रूबरू हो गया में सच से ,खोया हुआ था कब से ..
नैमत से खुदा कि पूरी मेरी फरियाद हुई है ...
ठोकरें खा के शक्सियत और भी फौलाद हुई है .......
ज़माने ने किये तंज़ , नहीं मुझको कोई रंज
ज़ुल्म सह के तबियत शौक़ -ए -हयात हुई है . ...
मेरी रुसवाई बनी मेरी बरकत का सबब
मेरी इब्तिला मेरे इकबाल कि बुनियाद हुई है ......मिट जाते हैं सिकंदर भी तकदीर बदलते ही
खुश-बख्त हूँ कि मेरी कोशिश तो कामयाब हुई है .....
(सओबत - Difficulties of life)
( मुफक्किर - Thinker)
(इब्तिला - Misfortune, सुफ्फेरिंग)
(इकबाल - Prosperity, Good Fortune)
(वासिक - Strong,confident)
(शौक़ -ए -हयात - fond of life)
(खुश -बख्त - Lucky)
मिट जाते हैं सिकंदर भी तकदीर बदलते ही
खुश-बख्त हूँ कि मेरी कोशिश तो कामयाब हुई .....
achhii lagii pantiyaa .......sachmuch takadiir badalane par bade bade sikandar bhii mit jaate hai
बहुत सुन्दर रचना । आभार
acchi h good