टूटा हुआ दिल और भी दुखाते हैं
क्यों लोग इस क़दर ज़ुल्म ढाते हैं ..........जिस कि तकदीर ज़माने ने लिखी
जिसकी मोहब्बत को मंजिल ना मिली ..............
उस कि कहानी को सरे -आम ये दोहराते हैं
क्यों लोग इस क़दर ज़ुल्म ढाते हैं ..........
बस यही एक खता कि हमने
किसीकी आरज़ू में ज़िन्दगी बिता दी हमने
अब हमें कनखियों से देख मुस्कुराते हैं
क्यों लोग इस क़दर ज़ुल्म ढाते हैं ..........
कतरा कतरा तडपा है जो कुछ पाने को
वो क्या बदल पायेगा ज़माने को
बदनसीब कि किस्मत को आजमाते हैं ................
क्यों लोग इस क़दर ज़ुल्म ढाते हैं ..........
कुछ इस तरह मोहब्बत को सज़ा दी हमने
दिल के हर अरमान को आग लगा दी हमने
ये दास्तान फ़रिश्ते भी कहते हुए घबराते हैं ........
क्यों लोग इस क़दर ज़ुल्म ढाते हैं .............
very nice blog-theme!! very beautiful and the layout is also good! i think the indiblogger widget is not properly placed in the header section.!! good-going!
can brng tears in ne1's eyes.
bahut dard h yaar!but nice for those who knows the word: Love