शिकन हटे कि तब्बसुम मेरे होठों को सजाये
बहार आने को है पर यह खिज़ा तो जाए ................
खुशनसीब नहीं इतना कि यूँ ही सब हासिल हो
कोशिश करूँ त़ाउम्र तो शायद कुछ मिल जाए ..............
नहीं मिलता हूँ यारों से कि अहज़ान से मुनहसिर हूँ
फुरसतें हों तो अंजुमन मैं भी वक़्त बिताया जाए .............
मौत दर पे खड़ी है फिर भी यह उम्मीद कायम है
कि आक़िबत तेरे आँचल कि पनाह मिल जाए ................
यह भरम है अभी भी कि मेरी जान के बदले
शायद मेरी मंजिल का पता चल जाए ...........
another nice one!! beautifully penned... every line has an irony in it...
likha bahut achha hai...
but I felt that the people like me who don't know much Urdu will find it difficult to understand your emotions... You could include the meaning of Urdu words if you like...
Tc!
Yes koshish kare ta umra to kuch bhi hashil ho sakata hai. Bahut badhiya!!!