-
About This Blog
This blog contains poems written by me on different topics and with different essence everytime, along with photographs shot by me during various trips in India and UK containing macros, sceneries, urban and rural shots, I hope this blog will serve you with a range of variety and you will enjoy my work.
देश से बाहर निकला तो यह खबर हुई
कि मेरे देश की हालत खस्ता बहुत हुई
चंद पैसों की खातिर बन गए हैं दुश्मन सभी अपने
की गैरों की बात क्या करें...अपनों की हद हुई
लगता है ज़रुरत पड़ेगी अब फरिश्तों की
मसीहा खुद ही लूट रहे हैं अस्मत जो ज़मीं की
मेरे करने से कौन सा फर्क पड़ेगा?
मसीहा खुद ही लूट रहे हैं अस्मत जो ज़मीं की
मेरे करने से कौन सा फर्क पड़ेगा?
हर एक नौजवां की सोच आखिर ऐसी क्यूँ हुई?
बिक गया है देश सियासी खेल के हाथों
क्या आज की जनता को यह खबर भी ना हुई?
अब यूँ ही बैठना तो मुमकिन नहीं होगा
कोशिश करे कोई तो क्या... हासिल नहीं होगा?
पर कोशिश करने की कोशिश ही भला क्यूँ कम हुई?
शिकन हटे कि तब्बसुम मेरे होठों को सजाये
बहार आने को है पर यह खिज़ा तो जाए ................
खुशनसीब नहीं इतना कि यूँ ही सब हासिल हो
कोशिश करूँ त़ाउम्र तो शायद कुछ मिल जाए ..............
नहीं मिलता हूँ यारों से कि अहज़ान से मुनहसिर हूँ
फुरसतें हों तो अंजुमन मैं भी वक़्त बिताया जाए .............
मौत दर पे खड़ी है फिर भी यह उम्मीद कायम है
कि आक़िबत तेरे आँचल कि पनाह मिल जाए ................
यह भरम है अभी भी कि मेरी जान के बदले
शायद मेरी मंजिल का पता चल जाए ...........
वो हमारे दिल मैं यूँ उतरते चले गए
हालात जो नाज़ुक थे बिगड़ते चले गए
छाया खुमार सा निगाहों पे इस कदर
क़यामत पे था खड़ा मैं ना आया मुझे नज़र
जब तक सम्हाले होश बहुत देर हो गयी
ज़िन्दगी ये मेरी मौत के बिस्तर पे सो गयी..........
(After Death...)
पहुंचा खुदा के दर पे तो हम-नज़र हुआ
क्यों मेरे साथ ही, ऐसा गज़ब हुआ
पुछा खुदा से मैंने क्या कुसूर था मेरा ?
वो बोला प्यार करने का तुझे मिला सिला
यह जन्नत है तेरे करम का इनाम-ऐ-बन्दे
वरना कहाँ होता है नसीब, ओरों को ,ये खुदा .........
वरना कहाँ होता है नसीब, ओरों को ,ये खुदा .........
मेरी बस एक तमन्ना है
जो चाहूं वो खुद कर पाऊँ ........
चाहे पथ हो कुछ उलझनों भरा
पर अंततः मंजिल को पाऊं .............
अपने अधिकारों से पहले
मैं कर्तव्यों का मान करूं ,..............
ना बिसराऊँ मार्ग भलाई का
निर्बल का सहारा बन पाऊँ ..................
चाहे आये मुश्किलें हज़ार
करना मुझको ना पड़े विचार .........
जो कश्ती घिरी हो तूफ़ान से
मैं उसका किनारा बन पाऊँ .........
आदर्श नहीं प्रस्तुत करना
मुझको है बस इतना करना ............
जो मार्ग महापुरुषों ने चुना
उस मार्ग पर मैं भी चल पाऊँ .................
Subscribe to:
Posts (Atom)