अब कभी आँगन में मेरे धूप ना होगी
कोई भी ख़ुशी अब मुझे महसूस ना होगी ................
चेहरे से झलकती है दास्तान -ए -मोहब्बत
हालत मेरी पूछने की ज़रुरत भी ना होगी .................................
कुछ भी ना सही उम्र भर बस ये ख्याल हो
की उनकी भी आँखों में नमी थी मेरे लिए .............
हर अश्क लुटा देंगे हम उनकी हंसी पर
खालिश जो दफ़न है कभी पैदा ही ना होगी ..................
दास्ताने वफ़ा कौन भला हमको कहेगा
जीकर भी जिन्दा कोई ना ...अब हमको कहेगा ..............
मौत ने भी रुख है मोड़ लिया इस ख्याल से
की जो अंदर से मर चुका है उसकी मौत क्या होगी ..................
nice
khternak dard hai....nice
बाप रे पूरा दर्द उड़ेल दिया.....
बहुत ख़ूबसूरत...