राह मैं यूँ बढ़ता जा रहा हूँ
मैं असलियत को झुठला रहा हूँ ...........
कठिनाइयाँ होती हैं उन्नति के पथ पर
मैं आसानियाँ क्यों चाह रहा हूँ ................
संघर्षों से ही मिलता है किनारा
तूफानों से फिर क्यों मैं घबरा रहा हूँ .................
मुनासिब नहीं हर कोई हो मसीहा
उम्मीदें सभी से क्यों लगा रहा हूँ .................
यह जीवन है आग का एक दरिया
में इस से बच के किधर जा रहा हूँ ......................
पिछड़ा हूँ अपने ही साथियों से
अब अजनबियों से यारी बढ़ा रहा हूँ ................
इस भीड़ मैं हो गया हूँ तनहा
खुद से ही बातें किये जा रहा हूँ ................................
जब से दुनिया आई है समझ मैं
दुनिया से में दूरी बढ़ा रहा हूँ .................
nice
gooood yaar
बहुत बढीया!!!
संघर्षों से ही मिलता है किनारा
तूफानों से फिर क्यों मैं घबरा रहा हूँ ...
ab kissi publisher ko dhoondnaa padega!!! very nice... very inspiring!!
जब से दुनिया आई है समझ मैं
दुनिया से में दूरी बढ़ा रहा हूँ.
best lines