SWATANTRA...SOCH

All religions, arts and sciences are branches of the same tree. All these aspirations are directed toward ennobling man's life, lifting it from the sphere of mere physical existence and leading the individual towards freedom.No one should negotiate their dreams. Dreams must be free to flee and fly high.

  • About This Blog

    This blog contains poems written by me on different topics and with different essence everytime, along with photographs shot by me during various trips in India and UK containing macros, sceneries, urban and rural shots, I hope this blog will serve you with a range of variety and you will enjoy my work.



तूफ़ान  से  नहीं  घबराते  हैं
मुश्किल  मैं  निखर  जाते  हैं
हम  तो  वो  आंधी  हैं  जो
पर्वत  से  गति  पाते  हैं

ना  जलते  हैं  अंगारों  से
ना  रुकते  हैं  दीवारों  से
जब  आ  जाएँ  अपनी  पर  तो
गर्दिश  मैं  जीत के आते हैं

साथी  की नहीं  हमें  अभिलाषा
ना  रखते  दुनिया  से  आशा
जब  चलते  हैं  मंजिल  के  लिए
तो साए  ही साथ  निभाते  हैं

लिख  दें  खुद किस्मत  की  रेखा
कल  का  सूरज  किसने  देखा
हम  ऐसे  आतिश  हैं  जो
अंधेरों  से  रौशनी  पाते  हैं

6 Response for the "तूफ़ान से नहीं घबराते हैं"

  1. :))) lakshaya to har haal main paana hain!!

    very inspiring and with deep feelings!! very emotional! keep up the poems!

  2. Unknown says:

    wahhh wahhh bahut khooob every time when i come at ur blog i got lot of positive things keep going yaar ...nice poem !! its really inspired me ...

    Jai HO manglmay ho
    Shubh depawali to u and ur family

  3. वाह वाह.....
    ऐसी हिम्मत तो किसी को भी मंजिल पर पहुँचने से नही रोक सकती.....
    सुन्दर.... रचना......

  4. बहुत सुंदर है ख़ास कर सायों की वफादारी पर पहली बार पढ़ा तो बड़ा अच्छा लगा वरना शायरों ने तो साये को बदनाम ही कर रखा है. खूबसूरत !!

  5. M VERMA says:

    लिख दें खुद किस्मत की रेखा

    कल का सूरज किसने देखा

    बहुत सुन्दर और हौसलो को सम्बल देती रचना

  6. हम ऐसे आतिश हैं जो
    अंधेरों से रौशनी पाते हैं
    .... very inspiring..

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