तूफ़ान से नहीं घबराते हैं
मुश्किल मैं निखर जाते हैं
हम तो वो आंधी हैं जो
पर्वत से गति पाते हैं
ना जलते हैं अंगारों से
ना जलते हैं अंगारों से
ना रुकते हैं दीवारों से
जब आ जाएँ अपनी पर तो
गर्दिश मैं जीत के आते हैं
साथी की नहीं हमें अभिलाषा
साथी की नहीं हमें अभिलाषा
ना रखते दुनिया से आशा
जब चलते हैं मंजिल के लिए
तो साए ही साथ निभाते हैं
लिख दें खुद किस्मत की रेखा
लिख दें खुद किस्मत की रेखा
कल का सूरज किसने देखा
हम ऐसे आतिश हैं जो
अंधेरों से रौशनी पाते हैं