फिर से वक़्त ने करवट ली है …
फिर मेरे दिल का हाल वही है ……
मेरे हौसलों पे... तो मुझको यकीं हैं
पर क्या खो गया है?.…ये किस की कमी है ?
क्या साथी कोई छूट गया है ?
अन्दर से कुछ टूट गया है।
हुआ कोई यूँ बिन इजाज़त के दाखिल। ….
जो मुमकिन नहीं था.…. वो कर गया हासिल
हिजाक़त पे मेरी … परदे गिरा के …
खुली आँखों से मुझको … सपने दिखा के
कोई अरमानों को लूट गया है।
अन्दर से कुछ टूट गया है।
सफ़र कट रहा था तन्हाई मैं भी.…
उस राही ने क्यूँ? … मुझको आवाज़ दे दी।
सूने पड़े दिल मैं मेरे …. हलचल मचा के
मेरे ज़हन मैं अपनी … यादें बसा के
वो लगता है.… सब भूल गया है।
अन्दर से कुछ टूट गया है।
राह-ऐ-दहर पे.… मैं बढ़ तो गया हूँ।
कोई... मंजिल नहीं है, जहाँ को चला हूँ।
मैंने दर्द-ऐ-ग़म से, भर के … वक़्त खाली
अपनी बेगानों में भी... जगह बना ली।
पर अपना कोई रूठ गया है
अन्दर से कुछ टूट गया है।
ना मैंने शिकायत की ... रब से कोई
पर सांसों में अब भी... क्यूँ बसता है वो ही?
काबू में कर के.... अपनी हसरतों को ...
मैंने हंसी... से.... सजाया, लबों को...
पर आँखों से सब फूट गया है ...
अन्दर से कुछ टूट गया है।
हिजाक़त - wisdom
हिजाक़त - wisdom