तेरी आँखों के चमकते मोती !
मुझे फिर एक बार डुबाने चले हैं ...
क्या ये जानते नहीं मेरी हालत?
जो मुझे फिर से आज़माने चले हैं ..
बड़ी ही कशमकश में दिल है ...कैसे बहले ?
की वो हम पे दिल-ओ-जान लुटाने चले हैं। ...
ग़ज़ब ये इत्तेफाक़ है की तुझे याद भी आये हम ..तब
जब खुद को ... तेरी नज़रों से छुपाने चले हैं ...
ये खुशबू जो तुम्हे अब बेक़रार करती है।
वो जूनून है .... जिसपे परवाने जले हैं ....
तू जिसकी जुस्तुजू में .... बस कुछ ही पलों से है ..
हम उसे ... त़ाउम्र सम्हाले चले हैं ...
बड़ा हसीन शौक है ..मुहब्बत मेरे हुज़ूर ...
कई सालों से ... इस सफ़र पे ज़माने चले हैं ...
जो पहल कर ही दी है तुमने ... तो बस इतना समझ लो!
बड़े बर्बाद हुए हैं ...जो भी निभाने चले हैं !
बहुत आजाब है ...ग़म-ऐ-फुरक़त से उबरना
कई मुददतों ... से हम भी भुलाने चले हैं !
कल क्या होना है ...क्या नहीं होगा ?
वो क्या सोचेंगे ..जो खुद तक़दीर बनाने चले हैं !
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