ग़म का अक्सर .. आना-जाना हो गया
मुश्किलों से .. दोस्ताना हो गया ...
बे 'बाक होके में चला .. मंजिल को पाने
बेख़ौफ़ हो .... निकला था खुद को आजमाने ..
कुछ हादसा ऐसा हुआ ...सब ख़ाक हो गया
मुश्किलों से .. दोस्ताना हो गया ...
क्या ज़मीं .... क्या आसमां ...
क्या फलक ...क्या हावियाह..........
हर जगह ... मेरा .. ठिकाना हो गया
मुश्किलों से .. दोस्ताना हो गया ...
अब नहीं कुछ भी ..... की जिसका ग़म करूँ
मुस्तकिल नहीं है कुछ ... तो फिर में क्यूँ डरूं
मेरा नहीं था वो ... जो मुझसे खो गया ..
मुश्किलों से .. दोस्ताना हो गया ...
सच्चा नहीं कोई ... तो किसकी में सुनूँ ?
में वो बशर हूँ .. जो अपनी मर्ज़ी से चलूँ
नयी राह पे निकला....तो रुसवा हो गया
मुश्किलों से .. दोस्ताना हो गया ..
हावियाह : The Lowest Region Of Hell
फलक : Heaven
मुस्तकिल : Never ending, Permanent
बशर : man, person
नयी राह पे निकला....तो रुसवा हो गया----- too gud :)
aapki rachna kabil a tarif
मेरा नहीं था वो ... जो मुझसे खो गया ..
मुश्किलों से .. दोस्ताना हो गया
GR8