SWATANTRA...SOCH

All religions, arts and sciences are branches of the same tree. All these aspirations are directed toward ennobling man's life, lifting it from the sphere of mere physical existence and leading the individual towards freedom.No one should negotiate their dreams. Dreams must be free to flee and fly high.

  • About This Blog

    This blog contains poems written by me on different topics and with different essence everytime, along with photographs shot by me during various trips in India and UK containing macros, sceneries, urban and rural shots, I hope this blog will serve you with a range of variety and you will enjoy my work.

......MY ANGEL.........

Posted by Priyanka Telang On 9:46 AM 3 comments


My past…....was dark...

Full of wounds and scars
n just when I was loosing life..
out of the blue... you arrived....

in your eyes.... I looked,....
there was a.... magical charm....
I fell in love....... cud see no harm…
I got my pair of... .Wings again..
the tears this time washed all my pain..

Although a stranger.... you were once
You came... and vanished all my curse
you filled... the vacuum in my life
I know.. ..I found my Mr. Right

My worth was found in your compassion
I belong to you.....u r' my obsession
We are inseparable......as we are one
The magnetism ..u have , I found in none

You are my dream... my destiny...n
Most wonderful thing that happened to me
Your love is my.... utmost strength          
You are my angel...my AMAaaaaaZING man

मजदूर ............

Posted by Priyanka Telang On 6:45 AM 1 comments


एक  दिन  मैं  ऑफिस  जा  रहा  था
और  रोज़मर्रा  की  तरह  झुंझला  रहा  था
एक  निरीह  आदमी  मुझे  देखे  जा  रहा   था
और  कुछ  सोचते  हुए  मुस्कुरा  रहा  था


काफी  देर  बाद  उसने  अपनी  चुप्पी  तोड़ी 
बोला  आप  नाहक  ही  परेशां  हैं  जबकि
आपकी  तनख्वाह  है  ज्यादा  और  हमारी  थोड़ी


मैंने  कहा  तनख्वाह  से  परेशानी  का  क्या  रिश्ता ?
टेंशन  तो  मुझे  देर  से  पहुँचने  का  है 
 वरना  मैं  भी  यहाँ  खड़ा  खड़ा  हँसता
इससे  तो  कम  मैं  तुम्हारी  तनख्वाह  मैं  पिसता


वो बोला अगर  ऐसा  है
तो  चलो  नौकरी  बदल  लेते  हैं
आप  मजदूर  बन  जाओ
हम  कंप्यूटर  कर  लेते  हैं


मैंने.......  व्यंग्य से कहा
कंप्यूटर  सीखना  बड़ी  टेडी  खीर  है
वो  मुस्कुरा  के  बोला  मजदूरी  कर  लीजिये
दो  दिन  और फिर कहिये  कैसी तकदीर  है ?


बात  ज़रा  देर  से  ही  सही..  मुझे  समझ  मैं  आई
मैंने  उसकी  तरफ  संवेदना  से  देखा  और  हमदर्दी  जताई
उसने  कहा........  आप  मुझ  पे  तरस  ना  खाइए
पर  खुद  को  जाके...  किसी  डॉक्टर  को  दिखाइए


बोला  हम  मजदूरी  मैं.........  पसीना  बहते  हैं
और  उसी  के........  कतरे - कतरे  से  खाते  हैं
आपके तो .......... पसीने  से  भी  खुशबू  आती  है
फिर भी ना जाने आप लोगों  को कैसी चिंता सताती  है ?


मैंने  उस  से.............  सबक  लिया
और  फिर  अपने  ऑफिस  को  लपक  लिया
मुझे  फिर  से  लेट  देख  बॉस  गुर्राया 
पर  फिर  भी............  मैं  मुस्कुराया 


उसने  गुस्से  से  कहा  क्या  तुम  समय  पे  नहीं आ सकते
मैंने  कहा  आप  ये  बात  प्यार  से  नहीं  बता  सकते
वो बोला  तुम्हे  पता  है  तुम्हारा  बॉस  तुम्हारे सामने  खड़ा  है
मैंने  हंसकर  पूछा  क्या  आपका कभी  किसी  मजदूर  से  पाला  पड़ा  है ??