बड़े ही दिन हुए मिले
की बात भी हुई नहीं। ....
हम तो पूछते, रहे
पर आप ही मिले नहीं ....
जो मिल गए हैं आज तो
क़सर न रह जाए कहीं …
शब्द तो बहुत हैं
पर आवाज़ ढूंढ लीजिये। …
अपने लिए भी कोई
हमराज़ ढूंढ लीजिये।
कुछ हाल-ऐ-बयान ही करें
कुछ रंग पुराने भरें ....
अगर है, फिर भी क़श्मक़श
तो खाली ज़ाम ही भरें ....
गुज़रे सालों से पूछिये ज़रा
छूटे हैं वो हसीं लम्हे कहाँ? …
थे जिस पे, आखिरी निशान
वो क़िताब, ढूंढ लीजिये ....
अपने लिए भी कोई
हमराज़ ढूंढ लीजिये।
वो आरज़ू , वो हौसले
वो दूर होते, फ़ासले ....
वो शाम की रुबाइयाँ
वो मनचली पुरवाइयां ....
अभी भी गूंजते हैं जो
वो गीत वो शहनाइयां। …
आलम तो बन ही जाएगा
बस अंदाज़ ढूंढ लीजिये ……
अपने लिए भी कोई
हमराज़ ढूंढ लीजिये।
अभी भी वक़्त है हुज़ूर
हालात को करिए क़ुबूल ....
इन हसरतों की ग़ुलामी
से भी बड़ी है ज़िंदगानी ....
यूँ आसमां की होड़ में
ज़मीन को ना छोड़िये ....
ख़ुश रहे जो, हर हाल में
वो मिज़ाज़ ढूंढ लीजिये …
अपने लिए भी कोई
हमराज़ ढूंढ लीजिये।
ये ज़िन्दगी की शाम है …
अब आपको क्या काम है?
हमने तो चुन लिया है घर …
आपका क्या इंतज़ाम है ?
चले थे जिनको छोड़ कर
फिर मिल गए इस मोड़ पर …
एहसास की कमी नहीं
ज़ज़्बात ढूंढ लीजिये …
अपने लिए भी कोई
हमराज़ ढूंढ लीजिये।