दोष लोगों का नहीं जो हर वक़्त पे बदलते हैं
ज़ख्म उनको भी हैं.. जो दुनिया की समझ रखते हैं।
ज़ख्म उनको भी हैं.. जो दुनिया की समझ रखते हैं।
हम खुली आँखों से भी .. खा गए धोखा।
सलाम उनको है .. जो बंद आँखों से नज़र रखते हैं।
ख़ामोशी में भी... वो आवाज़ ढूंढ़ लाये हैं..
ऐसे बन्दों को ... तो बादल भी ज़मीन लगते हैं।
वो सितमगर तो नहीं हैं ... पर दोस्ती की क़सम
दो कदम साथ ही माँगा था... मगर वो डरते हैं।
क्या ही समझेंगे ... ज़िन्दगी का सबब। ..
जो न तो गिरते हैं ,.. ना सम्हलते हैं।
ख़ुदा की भी कुछ खबर .. चलो ले आएं ज़रा...
सुना है कि वो हर इंसान को परखते हैं ....